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हरितालिका तीज – पति की दीर्घायु और सुयोग्य वर की कामना का पर्व

हरितालिका तीज का महत्व

हरितालिका तीज एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो खासकर सुहागन महिलाओं और युवतियों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख की कामना के लिए व्रत रखती हैं। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाता है।

व्रत की विधि

हरितालिका तीज के व्रत को कठोर व्रतों में से एक माना जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं, यानि वे दिन भर कुछ भी नहीं खाती-पाती। व्रत की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से होती है और पूरी शुद्धता के साथ पूजा की जाती है। पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों या चित्रों की स्थापना की जाती है और उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।

व्रत का फल

हरितालिका तीज व्रत रखने से मान्यता है कि महिलाओं को उनके पति की दीर्घायु, खुशहाली और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस व्रत को करने से अविवाहित लड़कियों को भी अच्छा और सुयोग्य वर प्राप्त होता है। भारतीय समाज में इस त्योहार का बहुत महत्व है, और इसे बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।

समापन विचार

हरितालिका तीज एक ऐसा पर्व है जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करने से महिलाओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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